अगुवाओं की उपेक्षा !!!!

श्री अशोक शुक्ल
मुख्य मार्गदर्शक/संरक्षक,ध्वनिमत
                           (त्वरित टिप्पणी)
आज दिनांक 10 जून 2020 को रामलला के प्रांगण में रुद्राभिषेक के साथ भूमि पूजन का कार्य संपन्न हो रहा है यह हमारे जैसे सनातनी के लिए बड़ा गर्व का विषय लेकिन आज ही समाचार पत्र में एक खबर भी है कि सर्व श्री आडवाणी, जोशी व उमा जी की पेशी विवादित ढांचा विध्वंस मामले में अब लखनऊ में होगी, समय की चाल बड़ी गहरी होती है जब इन लोगों ने कल्याण सिंह और वैसे ही अन्य कार्यकर्ताओं की मदद से इतने बड़े अभियान का शुभारंभ किया था तब किसी को पता नहीं था की यह एक राजनीतिक अभियान है या धार्मिक, लोग तुरंत कहेंगे कि यह पूर्णत:  एक राजनीतिक अभियान था,  यह हो सकता है कि भाजपा ने इस अभियान को राजनीति के तहत ही चालू किया हो लेकिन समाज और स्वयं पार्टी के बहुत से नेता इसमें अपने विचारों, संस्कारों और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा की वजह से जुड़े और अगर ऐसा ना होता तो कालांतर में जब इस अभियान के आशा अनुरूप फायदे नहीं मिले तो वह इसे छोड़ सकते थे इसलिए यह तो पक्का है कि कहीं ना कहीं यह आस्था का विषय ही अधिक था ।




खैर , अभी मेरा मुद्दा यह है कि वह लोग जिन्होंने अपना सर्वस्व रामलला के लिए दांव पर लगाया मुझे लगता है कि उन्हें उनका अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा है और अगर राम मंदिर के शिलान्यास के समय श्रीमान मोदी जी इन लोगों को साथ लिए बगैर अयोध्या चले जाते हैं तो यह मानना पड़ेगा कि सत्ता बड़ी निर्मम होती है और वह मोदी के सर पर भी चढ़कर बोल रही है ।

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