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अशोक शुक्ला मार्गदर्शक/मुख्य संरक्षक,ध्वनिमत |
जिस प्रकार से आजकल में समाचार पत्रों में चिकित्सा संबंधित कुछ समाचारों को ध्यान से देखता हूं तो मेरा अंतर्मन कहता है कि हमारी पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ही शायद इस बार इस महामारी से लड़ने की राह दिखाएगी और इसका बहुत सारा श्रेय 2014 के बाद आई उस सरकार को जाता है जिसे भारतीय मूल्यों और पद्धतियों पर अत्यधिक विश्वास है इसीलिए आते ही उन्होंने आयुर्वेद को आज के विज्ञान और सर्वमान्य तरीकों से प्रयोग करने और मानकीकृत उत्पाद समाज में लाने का रास्ता दिखाया ।
इसी के अनुरूप कई बड़े महाविद्यालयों को सरकारी क्षेत्र में स्थापित किया गया और पतंजलि जैसे देसी संस्थानों को अपनी दवाओं को आधुनिक प्रयोगशाला में टेस्ट करने और प्रमाणित करवाने की प्रेरणा भी दी, आज स्थिति यह है की हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान , मध्य प्रदेश की सरकारें विभिन्न स्तरों पर भिन्न-भिन्न तरीके के काढ़ो और दवाइयों का ट्रायल कर रहे हैं और लगातार ऐसी खबरें आ रही है की इनके परिणाम उत्साहवर्धक है ।
आयुर्वेद हमारी मिट्टी से उपजी एक बहुत ही प्राचीन और वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली है जिसने सदियों भारतीयों को बड़े-बड़े बड़े रोगों से मुक्त कराया है यदि सही कहा जाए तो चिकित्सा प्रणाली से अधिक यह जीवन जीने की प्रणाली है और रोगों के लक्षण को नहीं वरन रोग उत्पत्ति के कारणों को सही करती है, शमित करती हैं लेकिन जब अंग्रेज यहां पर आए और उनका नया-नया अर्जित ज्ञान उन्होंने भारत पर आजमाया और उसको सर्वमान्य बनाने के लिए उन्होंने हमारी चिकित्सा पद्धति और शेष जीवन जीने की पद्धतियों को क्रमबद्ध तरीके से खत्म कराया ।
आज एलोपैथी पूरे विश्व में फैल गई है लेकिन किसी भी बीमारी का संपूर्ण इलाज उनके पास नहीं है क्योंकि वह मात्र लक्षणों को सीमित करने का हुनर जानते हैं अगर इस महामारी से हम कोई सीख लें और अपने इस ज्ञान को आज के प्रचलित तरीकों से मान्यता दिलवायें तो ये मान कर चलिए कि इस महामारी का हमारी सभ्यता के लिए यह बहुत बड़ा योगदान होगा । आप अपने अतीत पर गर्व करना ना भूले क्योंकि हमारा ज्ञान इतना महान रहा है की आयुर्वेद को पांचवा वेद तक कहा जाता है । इससे संबंधित कुछ स्व भोगित प्रकरण है मेरे पास जिन पर चर्चा फिर कभी होगी ।
हमारे सोशल मीडिया पेज को भी देखें - https://www.facebook.com/newsforglobe/
आयुर्वेद हमारी मिट्टी से उपजी एक बहुत ही प्राचीन और वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली है जिसने सदियों भारतीयों को बड़े-बड़े बड़े रोगों से मुक्त कराया है यदि सही कहा जाए तो चिकित्सा प्रणाली से अधिक यह जीवन जीने की प्रणाली है और रोगों के लक्षण को नहीं वरन रोग उत्पत्ति के कारणों को सही करती है, शमित करती हैं लेकिन जब अंग्रेज यहां पर आए और उनका नया-नया अर्जित ज्ञान उन्होंने भारत पर आजमाया और उसको सर्वमान्य बनाने के लिए उन्होंने हमारी चिकित्सा पद्धति और शेष जीवन जीने की पद्धतियों को क्रमबद्ध तरीके से खत्म कराया ।
आज एलोपैथी पूरे विश्व में फैल गई है लेकिन किसी भी बीमारी का संपूर्ण इलाज उनके पास नहीं है क्योंकि वह मात्र लक्षणों को सीमित करने का हुनर जानते हैं अगर इस महामारी से हम कोई सीख लें और अपने इस ज्ञान को आज के प्रचलित तरीकों से मान्यता दिलवायें तो ये मान कर चलिए कि इस महामारी का हमारी सभ्यता के लिए यह बहुत बड़ा योगदान होगा । आप अपने अतीत पर गर्व करना ना भूले क्योंकि हमारा ज्ञान इतना महान रहा है की आयुर्वेद को पांचवा वेद तक कहा जाता है । इससे संबंधित कुछ स्व भोगित प्रकरण है मेरे पास जिन पर चर्चा फिर कभी होगी ।
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