खाना खिलाने का धोखा देकर केरल में मां हथिनी और उसके गर्भस्थ शिशु की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई । देश भर में लोग चीख उठे,वेदना से कराह उठे । सहृदय लोग रो दिये । इस कृत्य को किसी ने आसुरी ,राक्षसी तो किसी ने अमानवीय और शैतानियत कहा । मेरी नजर में इस कृत्य के लिए ये सारे शब्द बौने हैं ,बेमानी हैं । इस पैशाचिक कृत्य को संज्ञा देने के लिए संभवत: भाषा विशेषज्ञों को कड़ा श्रम करना होगी ।
#keralacruelty , #shameonyoukeralagovernment, #killerkerala
समाज का आइना सोशल मीडिया निंदा के स्वरों से भर गया । हर वो जो मानव कहलाने लायक सहृदय है , कुकृत्य की भरसक निंदा कर रहा है लेकिन वहीं आज ये देखकर मैं क्षोभ से भर उठा कि एक स्त्री ने इस मुद्दे को वेज और नॉन वेज की बहस से जोड़ने की घिनौनी किंतु नाकाम कोशिश की ।
बीवी,बकरी और बहन को एकसमान दृष्टि से देखने और बर्ताव करने वाले संप्रदाय की इस महिला से मैं कुछ सहज सवाल पूछना चाहता हूं ।
1- शायद आप भी कुछ बच्चों की मां होंगी ? या कभी न कभी तो बनेंगी । यदि आपके गर्भवती काल में कोई नरपिशाच आपको खाने की किसी मनपसंद चीज में पटाखे भर करके आपको खिला दे तो क्या आप इसे उचित ठहरा सकेंगी ?
2- अगर इस पैशाचिक कृत्य में भी आप इंसानियत के साथ खड़े होने के बजाय इसे बेहूदा और ज़लील बहसों की ओर मोड़ने की घिनौनी हरकत कर रही हैं , तो क्या आप जंग-ए-कर्बला में हुई हुसैन साहब की शहादत को भी न्यायोचित ठहराएंगी ?
3- क्या आप गोधरा कांड और गुजरात दंगों ने हुए नरसंहार का समर्थन करेंगी ?
4- क्या आप एखलाक की हत्या पर हर्षित हुईं थीं ?
5- आप इंसान पहले हो या मुसलमान ? आपके धर्म ने क्या आपको ऐसी क्रूरता पर भी बहस छेड़ने की शिक्षा दी है ?
नारी हो , जिसे आमतौर पर दया ,ममता और प्रेरणा को स्रोत माना जाता है । पैशाचिक कर्म पर नंगी बहसें छेड़कर न तो तुम नारी कहलाने की हकदार रहीं, न इंसान रहीं और न ही मुसलमान रह गयी क्योंकि मेरी जितनी जानकारी है मुसलमान उसे कहते हैं जिसका ईमान मुसल्लम यानि शुद्द और ईमानदार हो । घिन आती है तुम्हारे जैसे नरपिशाचों पर ।
#keralacruelty , #shameonyoukeralagovernment, #killerkerala
समाज का आइना सोशल मीडिया निंदा के स्वरों से भर गया । हर वो जो मानव कहलाने लायक सहृदय है , कुकृत्य की भरसक निंदा कर रहा है लेकिन वहीं आज ये देखकर मैं क्षोभ से भर उठा कि एक स्त्री ने इस मुद्दे को वेज और नॉन वेज की बहस से जोड़ने की घिनौनी किंतु नाकाम कोशिश की ।
बीवी,बकरी और बहन को एकसमान दृष्टि से देखने और बर्ताव करने वाले संप्रदाय की इस महिला से मैं कुछ सहज सवाल पूछना चाहता हूं ।
1- शायद आप भी कुछ बच्चों की मां होंगी ? या कभी न कभी तो बनेंगी । यदि आपके गर्भवती काल में कोई नरपिशाच आपको खाने की किसी मनपसंद चीज में पटाखे भर करके आपको खिला दे तो क्या आप इसे उचित ठहरा सकेंगी ?
2- अगर इस पैशाचिक कृत्य में भी आप इंसानियत के साथ खड़े होने के बजाय इसे बेहूदा और ज़लील बहसों की ओर मोड़ने की घिनौनी हरकत कर रही हैं , तो क्या आप जंग-ए-कर्बला में हुई हुसैन साहब की शहादत को भी न्यायोचित ठहराएंगी ?
3- क्या आप गोधरा कांड और गुजरात दंगों ने हुए नरसंहार का समर्थन करेंगी ?
4- क्या आप एखलाक की हत्या पर हर्षित हुईं थीं ?
5- आप इंसान पहले हो या मुसलमान ? आपके धर्म ने क्या आपको ऐसी क्रूरता पर भी बहस छेड़ने की शिक्षा दी है ?
नारी हो , जिसे आमतौर पर दया ,ममता और प्रेरणा को स्रोत माना जाता है । पैशाचिक कर्म पर नंगी बहसें छेड़कर न तो तुम नारी कहलाने की हकदार रहीं, न इंसान रहीं और न ही मुसलमान रह गयी क्योंकि मेरी जितनी जानकारी है मुसलमान उसे कहते हैं जिसका ईमान मुसल्लम यानि शुद्द और ईमानदार हो । घिन आती है तुम्हारे जैसे नरपिशाचों पर ।
सहमत
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